बिहार सरकार द्वारा जिला अदालत में कार्यरत Civil Court के कर्मचारियों के लिए माननीय उच्च न्यायलय , पटना के स्थायी समिति के द्वारा किये गए अनुशंसा का पालन नहीं किये जाने के विरोध में दिनांक 01-07-2024 से सभी न्यायालय कर्मी अपने कार्यों से अलग रहेंगे। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।
Follow on Google NewsTable of Contents
Bihar Civil Court के कर्मचारियों का क्या है प्रमुख मांगे :
Bihar Civil Court Employees का प्रमुख मांगे हैं –
- बिहार सिविल कोर्ट कर्मचारियों का वेतन विसंगति दूर करते हुए स्नातक वेतनमान दिया जाय।
- Bihar Civil Court Employees को ससमय पदोन्नति दिया जाय।
- अनुकम्पा पर बहाली मैं सुधार।
- बिहार व्यवहार न्यायलय अधिकारी एवं कर्मचारी (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण एवं अन्यसेवा शर्तें ) नियमावली 2017 के अनुरूप Bihar Civil Court के कर्मचारियों को राज्य संबर्ग किया जाय।
Bihar Civil Court के कर्मचारी क्यों हो रहे हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए मजबूर :
माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा CWJC no.- 5156/1994 में पारित अंतिम आदेश को लागू नहीं होने पर Bihar Civil Court के कर्मचारी संघ द्वारा LPA 174 /2019 दाखिल किया गया था। जिसमें पारित आदेश दिनांक 23-08-2022 के पारा चार में स्पष्ट रूप से निर्देश किया गया कि 3 महीने के अंदर उक्त आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें। जिसका अनुपालन बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया है।
इससे आहत होकर Bihar Civil Court Employees Association के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को एक रिप्रेजेंटेशन दिया गया था। जिसे माननीय हाईकोर्ट , पटना ने दिनांक 09-02-2023 को अनुमोदित करते हुए विधि विभाग, बिहार सरकार, को प्रेषित किया था । इसमें माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा विधि विभाग, बिहार सरकार को दिनांक 09-02-2023 को प्रेषित letter में निर्देश दिया था कि ” Hon’ble Court has been pleased to approve the prayer of the Bihar State Civil Court Employees Association made in said representation dated 02-09-2022, with prospective effect, for upgradation of their pay scale as prayed in the said representation, Accordingly, the recommendation of Hon’ble High Court may be implemented “ जिसका अनुपालन बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया।
पुनः दिनांक 17-07-2023 को माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा विधि विभाग, बिहार सरकार को लेटर प्रेषित किया गया जिसमें निर्देश दिया गया कि ” “re-consider the instant matter as the representation dated 02-09-2022 of the Bihar State Civil Court employess Association has already been approved by this Hon’ble Court ( i.e Hon’ble Standing Committee), keeping in view of similar educational qualification to that of the Secretariat Assistant as well as hectic and versatile nature of work in the Subordinate Courts”
उसके बाद राज्य सरकार द्वारा कुछ मुद्दों पर आपत्ति दर्ज करते हुए इसे वापस कर दिया गया। पुनः माननीय उच्च न्यायालय पटना के द्वारा दिनांक 30-01-2024 को उनके द्वारा दी गई आपत्ति का निवारण करते हुए अनुपालन हेतु भेजा गया। जिसका आज तक राज्य सरकार के द्वारा अनुपालन नहीं किया गया है।
माननीय उच्च न्यायालय के बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद बिहार सरकार के द्वारा उसका अनुपालन नहीं किए जाने के कारण Bihar Civil Court के employees बहुत निराशा में है। इसीलिए अब वे हड़ताल करने के लिए मजबूर हैं।
क्या है माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा LPA 174/2019 में पारित आदेश :
माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा LPA 174/2019 में पारित आदेश दिनांक 23-08-2022 के पारा चार मैं स्पष्ट रूप से निर्देश किया गया है कि ” 4. Accordingly appeal stands dismissed reserving liberty to the appellant to make necessary demands before the competent authority within a period of 3 months from the date of receipt of this order. If such demand is made the competent authority is here by directed to pass a speaking order and communicate the same within a reasonable period of time”
क्या है कर्मचारी संघ का रिप्रेजेंटेशन :
माननीय उच्च न्यायलय, पटना के स्थायी समिति के द्वारा वेतन विसंगति दूर करने हेतु किये गए अनुशंसा को लागू नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण पूरे Bihar Civil Court में कार्यरत कर्मचरिगण में राज्य सरकार के प्रति काफी आक्रोश की भावना जागृत हो गयी है।
Bihar Civil Court के कर्मचारियों द्वारा स्नातक योग्यता के अनुरूप वेतन की मांग की जा रही है । जिसके आलोक में माननीय उच्च न्यायालय पटना के द्वारा CWJC No.- 5156/1994 में दिनांक 7-10-1997 को आदेश पारित कर राज्य सरकार को अनुपालन करने हेतु निर्देशित किया गया था । जिसका अनुपालन राज्य सरकार के द्वारा ससमय नहीं किया गया ।
तत्पश्चात संघ द्वारा लगातार पत्राचार करने के पश्चात बिहार सरकार के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय पटना से संघ के आवेदन पर अभीमत की मांग की गई ।
जिसे माननीय उच्च न्यायालय पटना के स्थाई समिति के द्वारा दिनांक 09-02-2023 को Bihar Civil Court कर्मचारी संघ के दिनांक 02-09-2022 का आवेदन को अनुमोदित कर राज्य सरकार को अनुपालन हेतु भेज दिया गया।
जिस पर राज्य सरकार के द्वारा आपत्ति दर्ज कर बिना अनुपालन के वापस कर दी गई। जिसे माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा दिनांक 17-07-2023 को पुनः राज्य सरकार को अनुपालन हेतु निर्देशित किया गया।
जिसे पुनः राज्य सरकार के द्वारा बिना अनुपालन कर वापस कर दिया गया। पुनः माननीय उच्च न्यायलय पटना के द्वारा दिनांक 30-1-2024 को उनके द्वारा दी गई आपत्ति का निवारण करते हुए अनुपालन हेतु भेजा गया। जिसे आज तक राज्य सरकार के द्वारा अनुपालन नहीं किया गया है।
इससे न्यायालय कर्मियों को लगता है कि उनके साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है तथा राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को भी पालन करने के प्रति गंभीर नहीं है।
Bihar Civil Court के कर्मचारी इस बात से भी आहत है कि उनके यहां मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं हो पा रही है।
बिहार व्यवहार न्यायलय अधिकारी एवं कर्मचारी (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण एवं अन्यसेवा शर्तें) नियमावली 2017 में पूरे बिहार राज्य के व्यवहार न्यायालय के कर्मी को राज्य संवर्ग माना गया था।
जिसे बिहार व्यवहार न्यायालय अधिकारी एवं कर्मचारी (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण एवं अन्यसेवा शर्तें) नियमावली 2022 में अकारण ही जिला संवर्ग कर दिया गया। इससे भी न्यायालय कर्मियों में असंतोष की भावना उत्पन्न हो गई है।
क्या है वेतन उन्न्यन का आधार :
Bihar State Civil Court employees association के द्वारा दिनांक 02-09-2022 को माननीय उच्च न्यायालय पटना को एक पत्र लिखा गया था। आईए जानते हैं इसके बारे में विस्तृत जनकारी ।
वेतन विसंगति दूर करने के लिए एलपीए 174 /2019 में माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा दिनांक 23-08-2022 को पारित आदेश द्वारा प्राप्त निर्देश के आलोक में वर्षों से लंबित cwjc नंबर 5156/ 1994 में पारित अंतिम न्यायिक आदेश एवं अनुशंसा के अनुपालन तीन माह के अंदर करने के लिए Bihar State Civil Court Employees Association द्वारा प्रार्थना किया गया था।
विदित हो कि जनवरी 1985 को सचिवालय में कार्यरत सहायकों की सेवा में नियुक्ति हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिकुलेशन से उन्नत कर स्नातक योग्यता निर्धारित किया गया तथा स्नातक वेतन मान भी प्रदान किया गया।
अक्टूबर 1985 में बिहार के विभिन्न न्याय मंडल में कार्यरत वर्ग 3 के कर्मियों का सचिवालय में कार्यरत सहायकों के तर्ज पर वर्ग 3 के कर्मियों का सेवा में प्रवेश स्तर पर नियुक्ति हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिकुलेशन से उन्नत कर स्नातक योग्यता निर्धारित किया गया परंतु इन्हें आज के तिथि तक स्नातक वेतनमान प्रदान नहीं किया गया।
इस वेतन विसंगति के निराकरण हेतु कई अवसर पर Bihar State Civil Court employees association द्वारा प्रार्थना पत्र भी लिखा गया। सचिवालय सहायक के समतुल्य या स्नातक वेतनमान न प्राप्त होने पर उक्त मामला को माननीय उच्च न्यायालय पटना में CWJC No.-5156/1994 के माध्यम से रखा गया था।
जिसमें पारित अंतिम न्यायिक आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने Bihar Civil Court के कर्मचारियों को सचिवालय सहायक के समतुल्य स्नातक वेतनमान प्रदान करने का निर्देश जारी किया गया था। जिसका अनुपालन बिहार सरकार द्वारा आज तक नहीं किया गया है।
Bihar State Civil Court employees का निराशा का आंतरिक करण:
- Bihar Civil Court के कर्मचारियों को वर्षों से किसी भी प्रकार का पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रमोशनल पोस्ट होते हुए भी उन्हें इंचार्ज के तौर पर काम करना पड़ता है। जहां से उन्हें कभी भी हटाया जा सकता है।
- व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों का प्रमोशन के लिए सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था नहीं होने के कारण अलग-अलग जजशिप में अलग-अलग नियम चलते हैं। जिस judgeship में माननीय जिला जिला जज साहब का अनुकंपा हो जाती है, वहां पर कर्मचारियों के हित में नियम लागू हो जाते हैं। अन्यथा अधिकांश judgeship में कर्मचारियों के हित में नियम लागू नहीं हो पाता है।
- नियम होने के बावजूद बहुत सारे जजशिप में कर्मचारियों के जॉइनिंग के 3 साल तक उपार्जित अवकाश (EL) से वंचित रखा गया है।
- बहुत सारे जजशिप में डिपार्टमेंटल एग्जामिनेशन वर्षों से नहीं कराया गया है।
- व्यवहार न्यायालय अधिकारी एवं कर्मचारी (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण एवं अन्यसेवा शर्तें ) नियमावली 2017 में पूरे बिहार राज्य के व्यवहार न्यायलय के कर्मचारियों को राज्य संवर्ग माना गया था। जिसे अचानक बिहार व्यवहार न्यायालय अधिकारी एवं कर्मचारी (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण एवं अन्यसेवा शर्तें) नियमावली 2022 में अकारण ही जिला संवर्ग कर दिया गया। इससे न्यायालय कर्मियों में असंतोष की भावना उत्पन्न हो गई है।
- व्यवहार न्यायालय मैं कर्मचारियों की संख्या सैंक्शन पोस्ट से बहुत कम है । जिसके कारण कर्मचारियों को दो से तीन पोस्ट पर अकेले ही काम करना पड़ता है। यहां तक की छुट्टियों में भी उन्हें ज्यादा काम होने के करण काम करना पड़ता है। इन सब के बावजूद ऑफिसर्स का व्यवहार भी उनके प्रति अच्छी नहीं रहती है । ऐसा ही स्थिति कुछ दिन पहले किशनगंज व्यवहार न्यायालय में देखने को मिला था। जिससे आहत होकर किशनगंज व्यवहार न्यायलय के कर्मचारी दो दिनों तक हड़ताल किए थे।
इन सभी परिस्थितियों से आहत होकर Bihar Civil Court के कर्मचारी इसमें सुधार लाने के लिए हड़ताल करने पर मजबूर हो रहे हैं।
महत्वपूर्ण लिंक :
किशनगंज के कोर्ट कर्मचारियों ने क्यों किया दो दिनों का हड़ताल | Click Here |
Tata Memorial Centre, Mumbai ( New Research On Cancer) ने खोज निकाला टेबलेट जो कैंसर का दोबारा प्रकोप को रोक सकता है। | Click Here |
Google News | Click Here |
BSSC CGL 4 Notification 2024 की तैयारी अंतिम चरण में: | Click Here |
Court Reader-cum-Deposition Writer Of Civil Court Bihar (Adv. no.-03/2022) का Written Test | Click Here |