नई दिल्ली, 18 मार्च 2025: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2024 के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने उन देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रतिशोधी शुल्क) लगाने का प्रस्ताव दिया है, जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं। यदि यह नीति लागू होती है, तो भारतीय शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल मच सकती है, खासतौर पर मेटल, फार्मास्युटिकल, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और केमिकल सेक्टर प्रभावित होंगे।
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क्या है ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति?
ट्रंप की यह नीति उन देशों पर समान कर (Reciprocal Tariff) लगाने की योजना है, जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क वसूलते हैं। इसका मुख्य लक्ष्य चीन, भारत और यूरोपीय संघ हैं। यदि यह लागू हुआ, तो भारतीय निर्यात-आधारित कंपनियों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
किन भारतीय सेक्टर्स और कंपनियों पर होगा असर?
1. मेटल और केमिकल सेक्टर को झेलनी पड़ सकती है मार
यह नीति मेटल और स्पेशलिटी केमिकल कंपनियों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है, क्योंकि ये सेक्टर अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।
- टाटा स्टील (NSE: TATASTEEL) और जेएसडब्ल्यू स्टील (NSE: JSWSTEEL): ट्रंप की स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ की योजना से इन कंपनियों के निर्यात पर असर पड़ेगा, जिससे शेयरों में गिरावट आ सकती है।
- पीआई इंडस्ट्रीज (NSE: PIIND), एसआरएफ लिमिटेड (NSE: SRF), और नवीन फ्लोरीन (NSE: NAVINFLUOR): ये कंपनियां अमेरिकी फार्मा और एग्रोकेमिकल उद्योग को सप्लाई करती हैं। टैरिफ बढ़ने से इनका मुनाफा घट सकता है।
2. भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियां होंगी प्रभावित
भारतीय फार्मा कंपनियां हर साल लगभग 7 अरब डॉलर मूल्य की दवाएं अमेरिका को निर्यात करती हैं।
- सन फार्मा (NSE: SUNPHARMA), डॉ. रेड्डीज (NSE: DRREDDY), और सिप्ला (NSE: CIPLA) जैसी कंपनियां ट्रंप की नीति के कारण उच्च टैरिफ का सामना कर सकती हैं।
- इससे उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर होगी, जिससे शेयर बाजार में इनके भाव गिर सकते हैं।
3. ऑटोमोबाइल सेक्टर पर होगा असर
भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियां भी इस नीति से प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि वे अमेरिकी बाजार में वाहन निर्यात करती हैं।
- टाटा मोटर्स (NSE: TATAMOTORS) और महिंद्रा एंड महिंद्रा (NSE: M&M): यदि अमेरिका इन कंपनियों के वाहनों पर उच्च आयात शुल्क लगाता है, तो उनके वाहनों की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे मांग में गिरावट आ सकती है।
- इससे इन कंपनियों के राजस्व में कमी और शेयरों में गिरावट आ सकती है।
4. टेक्सटाइल और लेदर सेक्टर को हो सकता है नुकसान
भारत का टेक्सटाइल और लेदर सेक्टर अमेरिकी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है। अगर टैरिफ बढ़े, तो इसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा।
- रेमंड (NSE: RAYMOND) और वेलस्पन इंडिया (NSE: WELSPUNIND) जैसी कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
- अमेरिकी खरीदार सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे बिक्री और लाभ में गिरावट देखने को मिल सकती है।
भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव
ट्रंप की प्रोटेक्शनिस्ट ट्रेड पॉलिसी के कारण भारतीय बाजार में पहले ही अस्थिरता (Volatility) देखी जा रही है।
- निफ्टी मेटल इंडेक्स में 3.8% की गिरावट आई, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई।
- निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 2.5% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे संकेत मिलता है कि निवेशक इन शेयरों से दूरी बना रहे हैं।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशकों को सतर्क रहने और पोर्टफोलियो में विविधता (Diversification) लाने की जरूरत है।
- घरेलू बाजार (Domestic Market) पर केंद्रित कंपनियों में निवेश करें, जिनका व्यापार अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं है।
- उच्च जोखिम वाले सेक्टर्स (Metals, Pharma, Textiles) में निवेश से बचें, जब तक टैरिफ नीति स्पष्ट न हो जाए।
- एफएमसीजी, आईटी और बैंकिंग जैसे सेक्टर्स पर ध्यान दें, जो वैश्विक व्यापार तनाव से कम प्रभावित होते हैं।
निष्कर्ष
ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। इससे उत्पादन लागत बढ़ेगी, निर्यात घट सकता है, और शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। 2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर, निवेशकों को यह देखना होगा कि क्या यह नीति वास्तव में लागू होगी या सिर्फ चुनावी रणनीति भर है। फिलहाल, सतर्क निवेश और वैश्विक व्यापार से जुड़े अपडेट्स पर नजर रखना जरूरी है।